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*सीआईआई शुगरटेक 2025 का 11वां संस्करण*

लखनऊ, 26 सितम्बर:
*सीआईआई उत्तर प्रदेश* ने लखनऊ में *सीआईआई शुगरटेक 2025 का 11वां संस्करण* आयोजित किया। इस सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (NSI) के पूर्व निदेशक एवं ग्रीनटेक के प्रबंध निदेशक श्री नरेंद्र मोहन अग्रवाल ने की। इस अवसर पर 200 से अधिक उद्योग प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

*सीआईआई शुगरटेक में, कंपनियों और नवोन्मेषी किसानों को चीनी उत्पादन और सतत विकास के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।*

*उत्तर प्रदेश शुगर फेडरेशन के प्रबंध निदेशक श्री कुमार विनीत* ने कहा कि वास्तविक अवसर किसान-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में है, जहाँ उत्पादकता में वृद्धि, लाभप्रदता और सतत विकास के साथ हो। गन्ने की गुणवत्ता सुधारकर हम चीनी मिलों को अधिक रिकवरी दिला सकते हैं और गन्ने की मात्रा बढ़ाकर किसानों की समृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला को सुनिश्चित कर सकते हैं। इसी संतुलन से भारत न केवल वैश्विक चीनी उद्योग में अग्रणी बनेगा बल्कि एथेनॉल, हरित ऊर्जा और वैल्यू-एडेड उत्पादों में भी विस्तार करेगा। उन्होंने सीआईआई की सराहना करते हुए कहा कि शुगरटेक जैसे आयोजन उद्योग, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और किसानों के बीच संवाद और सहयोग का मंच प्रदान करते हैं।

*सम्मेलन के अध्यक्ष श्री नरेंद्र मोहन अग्रवाल, पूर्व निदेशक एनएसआई एवं प्रबंध निदेशक ग्रीनटेक* ने कहा कि भारतीय चीनी उद्योग ने पिछले दो दशकों में उल्लेखनीय परिवर्तन किया है। यह उद्योग एकल-उत्पाद से विकसित होकर बायो-इलेक्ट्रिसिटी, बायो-एथेनॉल, कम्प्रेस्ड बायोगैस और भविष्य की हरित ऊर्जा जैसे ईंधनों का केंद्र बन गया है। उन्होंने चार प्रमुख प्राथमिकताओं पर बल दिया—जलवायु-प्रतिरोधक उच्च उपज वाली गन्ना किस्मों का विकास, मांग-आपूर्ति संतुलन, लागत कम करने व स्पेशलिटी शुगर उत्पादन हेतु तकनीकी नवाचार और उप-उत्पादों व अपशिष्ट से वैल्यू-एडेड उत्पादों का निर्माण। उन्होंने कहा, “वास्तविक अवसर चीनी मिलों को एकीकृत बायो-रिफाइनरी में बदलने का है, जो सालभर संचालित हों और बायो-एनर्जी, बायो-केमिकल्स तथा सतत ईंधन उत्पादन करें, जबकि पर्यावरणीय स्थिरता को केंद्र में रखें।”

*मावाना शुगर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री राकेश कुमार गंगवार* ने कहा कि भारतीय चीनी उद्योग एक अहम मोड़ पर खड़ा है, जहाँ गन्ने की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाना आवश्यक है। यह घरेलू मांग पूरी करने, निर्यात सुनिश्चित करने और एथेनॉल उत्पादन द्वारा सतत ऊर्जा भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण है।

*उत्तम शुगर मिल्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक श्री शंकर लाल शर्मा* ने कहा कि चीनी उद्योग ऐसे मोड़ पर है जहाँ नवाचार और सततता को अपनाना अब विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्यता है। प्रिसिजन एग्रीकल्चर से लेकर बायो-रिफाइनरी तक की तकनीकी प्रगति उत्पादन और उपयोग की पद्धतियों को नया आयाम दे रही है, जिससे मूल्य श्रृंखला अधिक कुशल और पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी बन रही है।

*गोविंद शुगर मिल्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक श्री आलोक सक्सेना* ने एथेनॉल उत्पादन में विविधीकरण पर जोर दिया, जिससे भारत के ब्लेंडिंग लक्ष्य पूरे हों, अधिशेष कम हो और राजस्व स्रोत मजबूत बनें। उन्होंने तकनीकी उन्नयन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि स्वचालन, डेटा-आधारित निगरानी और उन्नत मशीनरी अपनाकर दक्षता और उत्पाद गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।

*एबी मॉरी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री सतीश मराठा* ने कहा कि वर्षों में भारतीय चीनी उद्योग ने उल्लेखनीय प्रगति की है। यह उद्योग एकल उत्पाद पर केंद्रित होने से विकसित होकर देश की हरित ऊर्जा परिवर्तन यात्रा का अभिन्न हिस्सा बन गया है। उन्होंने जोर दिया कि अगला विकास चरण उन्नत तकनीकों, सतत प्रथाओं और नवोन्मेषी जैव-आधारित समाधानों का उपयोग कर दक्षता बढ़ाने से आएगा।

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