पुरातात्त्विक धरोहरों के प्रचार-प्रसार एवं उनके संरक्षण हेतु आम जन-मानस में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा “पुरातत्व अभिरुचि पाठ्यक्रम” आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ0 राकेश तिवारी पूर्व महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली एवं पूर्व निदेशक, उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग, लखनऊ द्वारा पुरातत्व अभिरूचि विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला और मुख्यतय: पुरातत्व समस्त विद्याओं सर्वेक्षण उत्खनन संरक्षण एवं अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति जागरूक करवाया तथा व्यक्ति के व्यावाहरिक जीवन में प्रयुक्त हो रहें संसाधनों को अपनी संस्कृति से जोड़नें का प्रयास किया। जैसे-घरों में प्रयोग हो रहे सिल्ले बट्टे, भित्तिचित्र के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा की, उन्होंने तीनों उच्च, मध्य एवं निम्न गंगा घाटी में हो रहे वर्षा के प्रतिशत के आधार पर मानव के सांस्कृतिक स्वरूप को समझाने का प्रयास किया।
उन्होंने कालपी, लहुरादेवा, राजा नल का टीला, लद्दाख एवं जोगेश्ववर, अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड के पुरातात्विक स्थलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। शैलचित्र को परिभाषित करते हुये बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के आयोध्या काण्ड पर भी प्रकाश डाला। अन्त विद्यार्थियों को पुरातत्व में अभिरूचि के सन्दर्भ में बताया। पुरातात्विक विषय की जानकारी को प्राप्त करने हेतु पुरातात्विक स्मारकों/स्थलों भ्रमण कराना चाहिए, जिससे किसी भी संस्कृति के उद्भव, विकास एवं प्रसार को समझ सके।
कार्यक्रम में श्रीमती रेनू द्विवेदी निदेशक उ०प्र० राज्य पुरातत्त्व विभाग ने पौधा एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान कर अतिथि का स्वागत किया और कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में न केवल उत्तर प्रदेश से अपितु देश की विभिन्न प्रदेश यथा-मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, नई दिल्ली आदि से लोगों ने प्रतिभागिता के लिए पंजीकरण कराया है। प्रतियोगिता में 550 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, किंतु अवसर प्रथम आगत प्रथम स्वागत के आधार पर 300 प्रतिभागियों को प्रतिभागिता के लिए आमंत्रित किया गया है और मौके पर लगभग 250 प्रतिभागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मनोज कुमार यादव, सहायक पुरातत्व अधिकारी ने किया एवं कार्यक्रम में उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी श्री राम विनय, सहायक पुरातत्व अधिकारी ज्ञानेन्द्र कुमार रस्तोगी, श्री बलिहारी सेठ, अभयराज, मनोज कुमार रावत, आशीष, अकील, हिमांशु, निर्भय एवं अन्य विभागीय कर्मचारी उपस्थित रहें।
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