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गांवों में मांग से अर्थव्यवस्था में मजबूती

 

80 प्रतिशत ग्रामीण निवासियों ने पिछले वर्ष की तुलना में अधिक खपत दर्ज की है

निश्चय टाइम्स डेस्क लखनऊ 11 दिसम्बर

नाबार्ड के आठवें ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं मत सर्वेक्षण (आरईसीएसएस) के अनुसार पिछले एक वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में उल्लेखनीय सुधार, आय में बढ़ोतरी और जीवन स्तर में बेहतर बदलाव के स्पष्ट संकेत मिले हैं। आरईसीएसएस एक उच्च आवृत्ति वाला द्विमासिक मूल्यांकन है जिसे नाबार्ड द्वारा सितंबर 2024 से संचालित किया जा रहा है।

 

यह सर्वेक्षण अब एक समृद्ध, वर्ष भर का डेटासेट प्रदान करता है जो अतीत की स्थितियों और भविष्य की घरेलू भावनाओं दोनों के आधार पर ग्रामीण आर्थिक परिवर्तनों का यथार्थवादी आकलन करने में सक्षम बनाता है।

 

गत एक वर्ष के दौरान, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। उपभोग में वृद्धि, आय में बढ़ोतरी, घटती महंगाई और वित्तीय सतर्कता के बेहतर मानकों के साथ, ग्रामीण भारत विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। निरंतर कल्याणकारी सहायता और मजबूत सार्वजनिक निवेश इस गति को और बल दे रहे हैं।

 

मुख्य निष्कर्षरू सितंबर 2024 से नवंबर 2025 के बीच ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय मजबूती दर्ज की गई

 

1. वास्तविक क्रय शक्ति द्वारा संचालित उपभोग में उछाल

 

ग्रामीण परिवारों में से करीब 80 प्रतिशत ने पिछले वर्ष लगातार अधिक उपभोग दर्ज किया है जो बढ़ती समृद्धि का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

मासिक आय का 67.3 प्रतिशत हिस्सा अब उपभोग पर खर्च किया जाता है। यह सर्वेक्षण शुरू होने के बाद का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है और इसमें जीएसटी दरों में सुधार का भी महत्वूपर्ण योगदान है।

 

 

यह मजबूत और व्यापक मांग को दर्शाता है जो किसी एक क्षेत्र या विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

 

2. सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से आय में वृद्धि उच्चतम स्तर पर

 

ग्रामीण परिवारों में से 42.2 प्रतिशत ने अपनी आय में वृद्धि दर्ज की जो अब तक के सभी सर्वेक्षणों में सबसे बेहतर प्रदर्शन है।

केवल 15.7 प्रतिशत लोगों ने किसी भी प्रकार की आय में कमी का उल्लेख किया है जो अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है।

भविष्य की संभावनाएं काफी मजबूत नजर आ रही हैंरू 75.9 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि उनकी आय अगले वर्ष बढ़ेगी जो सितंबर 2024 के बाद से सबसे ऊंचे स्तर का आशावाद है।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश गतिविधियों में तीव्र उछाल

 

पिछले वर्ष की तुलना में 29.3 प्रतिशत परिवारों में पूंजी निवेश में वृद्धि देखी गई है जो पिछले किसी भी चरण में अधिक है जो कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में संपत्ति सृजन में नई तेजी को दर्शाता है।

निवेश में यह तेजी मजबूत उपभोग और आय में वृद्धि के कारण है, न कि ऋण संकट के कारण।

4. औपचारिक स्रोतों से ग्रामीण ऋण की पहुंच उच्चतम स्तर पर

 

58.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने केवल औपचारिक ऋण स्रोतों का ही उपयोग किया है जो कि अब तक के सभी सर्वेक्षणों में अब तक का सबसे उच्च स्तर है। सितंबर 2024 में यह 48.7 प्रतिशत था।

हालांकि अनौपचारिक ऋण का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत है जो यह दर्शाता है कि औपचारिक ऋण की पहुंच को और व्यापक बनाने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।

5. सरकारी अंतरण से निर्भरता पैदा किए बिना मांग को समर्थन जारी

 

औसत मासिक आय का 10 प्रतिशत हिस्सा सब्सिडी वाले भोजन, बिजली, पानी, खाना पकाने की गैस, उर्वरक, स्कूल सहायता, पेंशन, परिवहन लाभ और अन्य कल्याणकारी हस्तांतरणों के माध्यम से प्रभावी रूप से पूरा हो रहा है।

कुछ परिवारों के लिए, अंतरित धनराशि कुल आय के 20 प्रतिशत से अधिक तक होती है जो आवश्यक उपभोग सहायता प्रदान करती है और ग्रामीण मांग को स्थिर करने में मदद करती है।

6. महंगाई संबंधी धारणाएं एक वर्ष में अपने सबसे निचले स्तर पर

 

महंगाई के बारे में औसत धारणा घटकर 3.77 प्रतिशत हो गई। सर्वेक्षण शुरू होने के बाद यह पहली बार 4 प्रतिशत से नीचे आई है।

84.2 प्रतिशत लोगों का मानना है कि महंगाई 5 प्रतिशत या उससे कम रहेगी और लगभग 90 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में महंगाई 5 प्रतिशत से नीचे ही रहेगी।

महंगाई में कमी से वास्तविक आय में वृद्धि हुई है, क्रय शक्ति में सुधार हुआ है और समग्र कल्याण को बढ़ावा मिला है।

7. ऋण चुकाने और पूंजी निवेश की शर्तें बेहतर हुई हैं

 

कम महंगाई और ब्याज दरों में नरमी के साथ, ऋण चुकाने के लिए आवंटित आय का हिस्सा पहले के दौर की तुलना में कम हो गया है।

29.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में पिछले वर्ष के दौरान पूंजी निवेश में वृद्धि हुई है जो सभी सर्वेक्षणों में उच्चतम है।

8. ग्रामीण अवसंरचना और बुनियादी सेवाओं को मजबूत समर्थन

 

ग्रामीण परिवारों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में हुए सुधारों को लेकर उच्च स्तर की संतुष्टि व्यक्त की हैरू

सड़कें,

शिक्षा,

बिजली,

पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं।

इन सुधारों से लोगों की आय बढ़ी है और इससे दीर्घकालिक समृद्धि को आधार मिला है।

 

आरईसीएसएस सर्वेक्षण के बारे में

 

नाबार्ड का ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं मत सर्वेक्षण देश भर में हर दो महीने में किया जाता है। इसमें आय, उपभोग, मुद्रास्फीति, ऋण, निवेश और अपेक्षाओं से संबंधित मात्रात्मक संकेतकों और परिवारों के विचारों को शामिल किया जाता है।

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